ISRO scientist नितिन ने नौकरी छोड़ कृषि उपकरण बनाना शुरू किया ताकि किसानों की समस्या दूर कर सकें; अब foreign से आ रही demand
Rajasthan के Nitin Gupta को पहला उपकरण बनाने में 2 साल लगे थे, कई बार फेल भी हुए
Australia, America और Israel से आ रही मांग; अब तक कई award भी मिल चुके
Rajasthan के scientist नितिन गुप्ता। Isro में उनका चयन 2008 में हुआ था। लेकिन 2011 में वह नौकरी छोड़कर किसान बन गए, ताकि किसानों की समस्याओं को दूर कर सकें। दरअसल, नितिन के school के साथी खेती करते हैं। छुटि्टयों में जब नितिन घर आते तो गांव में चौपाल लगती। जहां ग्रामीण बैठकर खेती और उससे जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करते। नितिन समस्याओं का हल बताते। यहीं से उन्होंने सोच लिया कि वह भविष्य में किसानों को राहत देने के लिए अाविष्कार करेंगे। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। एक दोस्त के साथ मिलकर पहला कॉटन पिकर कृषि उपकरण बनाना शुरू किया। इसे बनाने में दो साल लगे। लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर पहाड़ी इलाकों जैसे जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और Himachal pradesh में research की और किसानों की समस्याओं के बारे में जाना। करीब चार माह बाद उन्होंने apple पिकर बना डाला। इसे किसानों ने बहुत पसंद किया। फिर एक-एक कर पांच प्रकार के उपकरण बना डाले। जिनकी मांग ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और इजरायल से भी आ रही है। उनके आविष्कार को लेकर फिक्की उन्हें बिजनेस इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित कर चुका है। इसके अलावा उन्हें सीआईआई टेक्निकल इनोवेशन इन agriculture award,, आईसीएफए में फूड एंड एग्रीकल्चर में बेस्ट फार्म टेक start up का award मिल चुका है।पहले Mangalyan project के लिए research कर चुके; कई उपकरण बना चुके
नितिन गुप्ता श्रीगंगानगर के श्रीकरणपुर गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई, जबकि मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई चेन्नई से की। इसरो में 2008 में बतौर साइंटिस्ट चयन हुआ। 2011 में नौकरी छोड़ मास्टर ऑफ डिजाइन की डिग्री ली और स्टार्टअप शुरू किया। 2015 में पीएम द्वारा स्किल इनोवेशन में देश के टॉप-35 स्टार्टअप में उनका चयन हुआ। नितिन अब तक कॉटन पिक, खुबानी पिकर, सोलर इनसेक्ट ट्रैप, सी बकथॉर्न पिकर और मार्केट लिंकेज ग्रेडिंग मशीन बना चुके हैं। वह भारत के पहले मंगलयान प्रोजेक्ट के लिए रिसर्च कर चुके हैं।
देश की पहली लिंकेज वेजिटेबल मशीन बनाई
साइंटिस्ट नितिन गुप्ता बताते हैं कि वह रिसर्च कर ऐसे उपकरण बनाते हैं, जिनका मैकेनिज्म बाजार में उपलब्ध ही नहीं होता है। कीमत भी ऐसी रखते हैं,जो एक ही सीजन में वसूल हो जाए। उन्होंने हाल ही में देश में निर्मित पहली मार्केट लिंकेज वेजिटेबल फ्रूट ग्रेडिंग मशीन बनाई है। इससे फल-सब्जियां छंटते ही आसपास के आढ़तियों के पास कलर, साइज, क्वालिटी की डिटेल्स के साथ मैसेज पहुंच जाएगा। इससे वे जरूरत के अनुसार किसानों से संपर्क कर पाएंगे।